Thursday, 8 September 2016

(महिला यौन शोषण, दागी मंत्री, और दिल्ली के हालात पर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को समर्पित नई कविता)
रचनाकार-कवि गौरव चौहान इटावा उ प्र


जो दिल्ली का दिलवाला था जो जनता की ख्वाहिश थी,
जो टोपी वाले अन्ना के अनशन की पैदाइश थी,
जिसने कांग्रेस की उस लंका में आग लगाई थी,
जिसने नव स्वराज की सबके दिल में आस जगाई थी,
जिसने कमल झाड़ डाले सब झाडू लेकर आया था,
सनक ठान कर जिसको दिल्ली ने सुल्तान बनाया था,
वही केजरीवाल ठसक में अपने भूल उसूल गया,
आम आदमी से जो वादे किये सभी को भूल गया,
मोदी मोदी का ही हर पल मारा केवल रट्टा है,
मंत्री सारे दागी निकले,लगा साख पर बट्टा है,
जितने भी थे होनहार,सब खुरापात में रहते हैं,
सचिवालय से ज्यादा मंत्री हवालात में रहते हैं,
कोई करे वसूली कोई फर्जी डिग्री धारी है,
कोई दंगाई कोई बीवी पर अत्याचारी है,
बाहर भीमराव की फ़ोटो,अंदर नंगे सोते हैं,
आम आदमी हैं या पूरे कामदेव के पोते हैं,
कामसूत्र के ऊपर,गीता का पैबंद चढ़ाया है,
मंत्री जी ने शयन कक्ष में राशन कार्ड बनाया है,
अरे केजरीवाल,तुम्हारे चेले बड़े रंगीले हैं,
टोपी सर पर कसी हुई पर नेकर सब के ढीले हैं,
विपश्यना के देखो ये परिणाम निकल कर आये हैं,
"आम" कुटी से कितने आशाराम निकल कर आये हैं,
गड्ढे भरने आये थे लेकिन खुद खाई बन बैठे,
वाई फाई भूल गए खुद हाई फाई बन बैठे,
बारिश नही संभाली जाती,क्या सैलाब संभालोगे,
दिल्ली नही संभाली जाती,क्या पंजाब संभालोगे,
इक्यावन महिलाओं के जिस्मों पर फेरी झाड़ू है,
टिकिट बेचने वाला भैया संजय बड़ा जुगाडू है,
करने आये थे जन सेवा,तन पर डोरे डाले हैं,
छांट छांट कर सभी छिछोरे अरविंदा ने पाले हैं,
कवि गौरव चौहान कहे,ये सत्ता की मदहोशी है,
दिल्ली के इन बुरे दिनों की दिल्ली तू ही दोषी है,
अन्ना की आँखों में आंसू,शीश धरा पर पटके हैं,
लोकपाल पर लड़ने वाले भोगपाल में अटके हैं,
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किशन अहीर
जनता सेना राजस्थान